एक समय किराना खरीदने तक के पैसे नहीं थे गोविंदा के पास, मां के गले लग खूब रोये थे

गोविंदा ने 35 साल पहले लव-86 और इलज़ाम (1986) से अपने अभिनय की शुरुआत की। और तब से, उन्होंने एक अभिनेता के रूप में अपने लिये सफलतापूर्वक एक विशिष्ट जगह बनाई है।
90 के दशक के ‘हीरो नंबर 1’ के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने वाले गोविंदा को बचपन और युवाकाल में कठिन संघर्षों का सामना करना पड़ा। उनके जन्म से पहले ही उनका परिवार कठिन समस्याओं से घिर गया था। तब उनके पिता अरुण आहूजा ने एक फिल्म का निर्माण किया था जो बॉक्स ऑफिस पर बेहद विफल रही थी।
गोविंदा मंगलवार को 58 साल के हो गये हैं। यहां विरार की एक चॉल से बॉलीवुड के एक सच्चे सुपरस्टार तक के उनके प्रेरणादायक सफर को हम देख रहे हैं।
1997 में इंडिया टुडे के साथ एक साक्षात्कार में, गोविंदा ने अपने संघर्षों को याद करते हुये कहा था- एक समय मैं किराने का सामान भी खरीद पाने में सक्षम नहीं था और मुझे किराना के बकाया के कारण अपमानित किया गया था। बनिया मुझे घंटों खड़ा करता था क्योंकि वह जानता था कि मैं सामान के लिये भुगतान नहीं करूंगा। एक बार मैंने दुकान पर जाने से मना कर दिया। मेरी मां रोने लगी और मैं उनके साथ रोने लगा।
गोविंदा ने 1986 में लव-86 से बॉलीवुड में डेब्यू किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने इलज़ाम, आंखें, राजा बाबू, हीरो नंबर 1, बड़े मियां छोटे मियां और हसीना मान जाएगी जैसी हिट फिल्मों के साथ खुद को 80 और 90 के दशक के एक प्रमुख सितारे के रूप में स्थापित किया। उन्होंने अपनी कॉमिक टाइमिंग और डांस मूव्स के लिए प्रशंसा हासिल की।गोविंदा आखिरी बार बड़े पर्दे पर रंगीला राजा में नजर आए थे।
अपने करियर ग्राफ के बारे में बात करते हुए गोविंदा कहते हैं- यह काफी दिलचस्प रहा है। इससे मुझे अपने परिवार की सेवा करने में मदद मिली। मैं सिनेमा का अपना ब्रांड बना सकता था। मैं शुक्रगुजार हूं कि मैं इंडस्ट्री में नये सितारे, निर्माता और निर्देशक ला सका और उन सभी ने बहुत अच्छा किया। अगर मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो हर जग मेरे अपने ही दिखाई देते हैं।
जहां तक फिल्मों का सवाल है, वह भले ही इस समय धीमी गति से काम कर रहे हों, लेकिन उन्होंने संगीत को अपनाकर अपने समय का सदुपयोग किया है। उन्होंने कहा- मैंने अपना खुद का मंच, गोविंदा रॉयल्स बनाने के बारे में सोचा, ताकि जो लोग गोविंदा की तरह के गाने देखना चाहते हैं वे उन्हें देख सकें और मज़े कर सकें। मैंने लगभग 100-150 गाने लिखे हैं। मैं अपने दम पर गाने भी गाना और परफॉर्म करना चाहता हूं।
इस बीच, जैसा कि गोविंदा आज 58 वर्ष के हो गये हैं, हम उनसे उनके जन्मदिन समारोह की योजनाओं के बारे में पूछते हैं। वे बताते हैं- मैं एक देवी मंदिर जाने की योजना बना रहा हूं। जब भी मुझे अपनी मां की याद आती है, मैं एक मंदिर जाता हूं। आमतौर पर मैं अकेला जाता हूं लेकिन इस बार मैंने अपनी पत्नी से मेरे साथ चलने का अनुरोध किया है। हम एक साथ पूजा करेंगे।
अपने जीवन और करियर के लिए कृतज्ञता की भावनाओं के बारे में बात करते हुये कहते हैं- मैंने अपनी माँ से जो सबसे अच्छी बात सीखी है, वह यह है कि अन्य लोगों की प्रतीक्षा करने के बजाय अपने चारों ओर खुशी की आभा पैदा करें। या वो चीजें करें जो खुशी देते हैं। मेरा मानना है कि मेरा जीवन मेरे द्वारा लिए गए निर्णयों का परिणाम है। कोई भी चीज मेरे नाम या छवि को खराब नहीं कर सकती। मैं कर्म और अच्छे कर्मों में विश्वास करता हूं।
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